प्रेम की गहराई Depth of Love

भगवान जी ने जब से दुनिया सजाई है तब से प्रेम प्यार रहा है और आगे भी रहेगा यह पक्के तौर से हम कह सकते हैं। भले ही आज हर तरह के रिश्ते तार -तार हो रहा है। रिश्तों संबंधों के तार-तार हो के पीछे एक ही कारण है। निजी स्वार्थ है। जो दूसरों की उपस्थित स्वीकार नहीं हैं। लेकिन हम बात कर रहें हैं प्रेम प्यार की जो दूसरों की उपस्थित को स्वीकार करता है। लगाव संजीव और निर्जीव दोनों से होता है। किसी के प्रति लगाव हो और वो उतना महत्व ना दे तो प्रेम प्यार टूटने लगता है। एक दिन ऐसा आता है तब उसके वजूद के कोई मायने नहीं रहता है। होना न होना एक समान हो जाता है। कोशिश यह रहनी चाहिए की हमेशा आपस में प्रेम प्यार बना रहे। गहराइयों से भरा प्रेम प्यार पाना हमें शक्ति देता है। दिल की गहराइयों से प्रेम प्यार करना हमें निश्चित ही साहस देता है। जब हम संतुष्ट रहते हैं स्वयं की तुलना किसी से भी नहीं करते हैं। और न किसी से प्रतिस्पर्धा रखते हैं तो आपका सब सम्मान करते हैं। दयालुता ही हमारे में आत्मविश्वास पैदा करती है। और सोच में दयालुता हो तो प्रेम प्यार अवश्य उमड़ पड़ता है। जिसने छोड़कर जाना...