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Showing posts from January, 2021

INSPIRED WISHFUL THINKING प्रेरित इच्छाशक्ति

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  मै थक कैसे सकता हूँ ना जाने कितनों की उम्मीदें मुझ पर टिकी हैं। रास्ता ना भी दिखे तब भी खोजने का प्यास करो।  कोशिश और सिर्फ़ कोशिश या तो लक्ष्य प्राप्त होगा या कोई अनुभव प्राप्त होगा। ऐसा मेरा अनुभव है। देह को सवांरना इस संसार के लिये  आत्मा को सवांरना प्रमात्मा के लिये  रिश्ता और पौधा लगाकर भुलना चाहिए। सुखने लगते हैं। सार-संम्भाल बहुत जरूरी होता है। गुणों में दोष मत देखो ऐसा करना मृत्यु के समान है। कठोर बोलना या पर निंदा करना अपने धन का नाश है। अच्ची बात न सुनना या सेवा का अभाव है या उतावलापन या आत्मप्रशंसा करना या सुनना शिक्षा के पक्के शत्रु हैं। किसी की मदद करने से पुरी दुनिया तो नहीं बदल सकती पर जिसकी मदद की उसकी तो दुनिया जरूर बदली है। तनाव का अर्थ यही है कि आप कुछ और बनना चाहते हैं जो आप बन नहीं रहे हैं। जीब अपनी दांत अपने दिमाग़ भी अपना यानि कि सबकुछ अपना फिर भी तालमेल में गड़बड़ हो ही जाती है और जीब जख्मी हो जाती हैं। कोशिश यह रहनी चाहिए की जीवन में तालमेल बना रहे  एक दूसरे पर दोष मढने से अच्छा है कि अपनी-अपनी जिम्मेदारी ले तभी कुछ होगा। परिश्रम से ही कठिन परिस्थितियाँ को बदला ज

the effect of a brilliant thought विचार का प्रभाव

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मैं यह काम कर सकता हूँ यह विश्वास है और यह काम मैं अकेला ही कर सकता हूँ यह अंधविश्वास हैं। भ्रम है भुल हैं। अच्छी मित्रता आंनद को बढा देती हैं और दुखों का कम अवश्य कर देती हैं। मित्रता का बड़ा उदाहरण भगवान कृष्ण और सूदामा का है। अपना बनाने के लिये बहुत सी खूबियाँ कम पड़ जाती है जबकि किसी को खोने के लिये अदद एक कमी एक चूक बहुत होती हैं। जो भी करो पुरी लग्न से करो, पुरी यकीन से करो सफलता अवश्य मिलती हैं। जब काम मन मुताबिक न हो तब भी धैर्य रखो धैर्य की परीक्षा बुरे समय में होती हैं। जब जीवन में सब उल्ट-पुल्ट मची हो तो भी शांति से ही काम लेना चाहिए। भगवान श्री राम जी ने कभी धैर्य नहीं खोया आज भी पुरुषोत्तम पुरुष कहलाते है। मंथरा,कैकेयी,सकुनि...आदि का तो कोई नाम भी नहीं रखना चाहते हैं। ऐसा जरूरी नहीं हैं कि जो हम सोचते हैं जीवन में वैसा हो ही हो। सोचते कुछ है। और होता कुछ और है। तब भी धैर्यवान बने रहना चाहिए। परिणाम बदलने के लिये बड़े स्तर के बदलाव करने पकते हैं। हर असफलता एक बड़ी सीख देती है। असफलता को असफल करो न कि अपने आप को असफल करो। सफलता -तैयारी,मेहनत और असफलता से सीखने का फल है। ध्यान भट

Abstract thinking activities for us सार रूप की सोच

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कुशलता -हर व्यक्ति को किसी न किसी काम में दक्षता प्राप्त होनी चाहिए। बगैर कौशल के किसी भी कार्य को सही ढंग से संपन्न करना कठिन है। संयम-सफलता के लिये संयम बहुत आवश्यक होता है। बीना संयम के आप ज्यादा आगे नहीं बढ सकते  सावधानी -कहते भी है सावधानी हटी दुर्घटना घटी। कितनी भी दक्षता हो सावधान नहीं रखी तो कोई भी कार्य / बात बिगड़ते देर नहीं लगती। जीत के बाद भी सतर्कता जरूरी है  धैर्य -धैर्य एक जैसा हथियार है। हर विकट परिस्थिति से बचा सकता है। धैर्य बनाए रखने से फैसलें लेना आसान हो जाता है। ईमानदारी - ईमानदारी से किये प्रयास से मन वांछित परिणाम मिलना आसान हो जाता है। हर क्षेत्र में ईमानदारी बनाए रखने से जीवन में मुश्किलें कम आती हैं। नर्क - वैसे तो मरने के बाद मिलने वाली सजा को कहते हैं। धर्म यही बताते हैं। आज बात कर रहे हैं। जींदा इंसान की स्वंय या निकट जनों द्वारा किये गलत कार्यो की वजह से भी नर्क जैसा जीवन बन जाता है। स्वर्ग -जहां हर तरह की खुशियों हो वही स्वर्ग है। अनुकूलता ही स्वर्ग है। स्वर्ग -नर्क कोई स्थान नहीं हैं यह अवस्था है जो हर व्यक्ति के जीवन काल में आते रहते हैं। व्यक्ति के पास

lesson plan

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  मैं एक विचारक हूँ   इसलिए भाग्य को कम ही मानता रहा हूँ। परन्तु आपका वाजिब लगा इसलिए यथासंभव उत्तर देने की चेष्टा कर रहा हूँ संभवतया पसंद आए! मेहनत की बात करें तो सबसे अधिक मेहनत पल्लेदार और रिक्शाचालक तथा अन्य क्षेत्रो मे शारीरिक श्रम करने वाले मजदूरो से अधिक मेहनत कोई भी नही करता है! रही किस्मत और मेहनत करने के बावजूद भी उचित फल न मिलने की,तो लोग ऐसे लोगो से खुद की तुलना करने लगते हैं जिनके पास पैतृक संपत्ति हो अथवा उनके धन कमाने के वास्तविक स्रोत ज्ञात न हों! बल्कि उनके खर्च और ऐशोआराम देखकर ही कुढते रहते हैं। जबकि विज्ञान की भाषा मे कहें तो सच यह कि सूत्र होता है F=ma जहाँ F बल का तथा m द्रव्यमान तथा a त्वरण को दर्शाता है। सरल शब्दों मे कहें तो बल यदि निश्चित दिशा मे और सही माप मे लगे तभी वस्तु की दशा मे परिवर्तन संभव हो सकता है। जैसे बल भी लगाया मगर उसकी दिशा और माप उचित न होगी यानि इन तीनो मे से कोई भी एक कमी या परिपूर्ण न होगी तो फल मिलना असंभव है। जिस प्रकार एक मनुष्य यदि दीवार को गिराने की चेष्टा केवल अपने हाथो के बल से ही करे तो दीवार गिरा पाना असंभव है किन्तु वही व्यक्ति यद

LIFE जीवन 2

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  "जीवन एक ऐसी यात्रा है जिसमें आप चालक होते हैं, लेकिन आपको यह ज्ञात नहीं रहता कल क्या होगा"अनुभव, परिवार, दोस्तों, कठिनाइयों के बीच यात्रा करने के लिए कवच हैं। आप निश्चित रूप से बहुत सारी खुशियों, निराशाओं, सफलता, असफलता, उतार चढ़ाव , स्वार्थी लोगों, सच्चे दोस्तों का सामना करेंगे। अपनी सफलता के लिए अपने खुद के प्रयासों की सराहना करेंगे  कभी-कभी आप उस स्थिति में फंस जाएंगे जहां आपको जीवन में दृढ़ निर्णय लेने ही होंगे! एक ऐसी यात्रा पूरी तरह से आपके मीठे और कड़वे अनुभव पर निर्भर करती है। जीवन का उद्देश्य एक जीवन है और कुछ भी नहीं है। पत्थर की कीमत कम होती है। उससे बनी मूर्ति की कीमत बढ जाती है। पत्थर से मूर्ति बनाना कारीगर का कमाल है उसका कौशल है। वहीं हम हमारे जीवन के कारीगर होते है। हमारी असल ज़िन्दगी में भी यही होता है हमे अपने आप को मूल्यवान बनाना पड़ता है, हम लोग पत्थर की तरह होते है कठिन मेहनत, स्वानुशाशन ,दृढ़  इच्छासक्ति हमे मूर्ति में परिवर्तित करते है क्यूंकि जब आपका मूल्य नहीं रहता है तो बहुत कम ही लोग आपकी ज़िन्दगी में ठहरते है यह एक कड़वा सत्य है परन्तु तथ्य है हमे जीव

भक्ति आस्था

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  भक्ति आस्था पर आधारित होती है।जिसके   साथ जुड़ जाती है।वह उसका भक्त बन जाता है। उसमें कुछ कमियाँ या खामियां भी तो भक्त ढक देते है। अपने तरीके से उसका उत्तर देते रहते। बड़ा संबंध भक्त और भगवान के बीच माना गया है। भक्त करता सब खुद है श्रैर्य भगवान को देता है। जो अब इस संसार में नहीं है। उसका कोई भक्त है तो लोग कम सवाल दागते है। अगर वही जींदा इंसान का कोई भक्त बन जाता है तो हजारों सवाल। ऐसा क्यों? क्या आज अच्छे लोग इस संसार में नहीं है। आज जो अच्छे है कल को उनको पूजा जाएगा ऐसी परम्परा चलती आई है।  हड़पकर कमाया धन और खाया भोजन व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति खत्म कर देता है। शिक्षक  पहले पढाता है और फिर परीक्षा लेता है। लेकिन जिंदगी पहले परीक्षा लेती है फिर सबक सिखाती है। ढकने  के लिए तीन चीज तन,धन और पक्का भोजन अस्थिर  मन की सोच भी अस्थिर ही रहती है।जिसकी सोच पल-पल बदलती रहती है। उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए। अच्छा जीवन जीने के लिए अच्छा प्रयास करते रहना पड़ता है। तोता बोल सकता है लेकिन ऊंचा नहीं उड़ सकता पर बाज बिन बोले आसमान चीर देता है दौड़ने का साहस तो जुटाना ही पड़ता है प्रतिस्पर्धा जीतने

सच truth

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  कमियों और खुबियाँ,सफलता असफलता एक आवरण से ढकी रहती हैंं जब प्रकट होती है तब पता चलता है। तब हम कह सकते है कि यह या वह ऐसा हैं। पुर्वानूमान अकसर गलत भी सिद्व हो जाते है। आपके अनुकूल करे वह अच्छा और ना करें तो ठीक नहीं।  सफल होने पर खुबियाँ और असफल होने पर कमियाँ ढूंढ लेते है लोग जब तक आप काम के हो तब तक आपको पहचान ते है दिया जलाने के बाद तो तीली फेंक देते है। जब तक बैल बहे घाणी तब तक सार घणैरी,थकिऐ बैल की सार न जाणै डोले गली-गली मित्रता और शत्रुता के पीछे कम से कम एक कारण तो जरूर होता है। पाणी कोनी पाट्ह पर रिश्ता पाट जावै है हाल यही है दोस्तों  ना रूका जाए ना भागा जाए आसान काम विश्वास खोना और मुश्किल काम विश्वास पाना एव कठिन से कठिन काम विश्वास बनाए रखना। जिसके पास चाबी होती है ताला वही खोलता है। बाकि तो सब ताला तोड़ने वाले होते है।  कई बार जोड़ तोड़ से भी काम चल जाता है। लेकिन मानवीय रिश्ते -नाते बेजोड़ होने चाहिए इनमें जोड़ नहीं चलता  झिंटा जे दूसरह ग हाथ मं दिंया। अगलो पट्टै जिंया ही पट्टै। दूसरों के इशारों पर नहीं नाचना चाहिए। भूतकाल से कुछ सिखो वर्तमान में सकारात्मक रहो और अच्छा जीवन
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        शायद ही कोई भविष्य का अनुमान लगा सकता हो। लेकिन हम चुन सकते हैं कि हम कौन से रास्ते अपनाने है।क्या करने की उम्मीद करते हैं जो हर कोई करता है। हर कोई अपने जीवन में सबकुछ अच्छा हो और जीवन अच्छे से चले। इसी प्रयास में लगे रहते है। मानव चाहता है वह हर बार नहीं होता है  अहंकार हमेशा जोर से बात करता है। अपना ही सबकुछ मनवाने में लगा रहता है। पर सच्चाई सर्वोपरी होती है।  हम सब, हमेशा, हर चीज के बारे में कुछ न कुछ कहते रहते हैं। राय देते रहते है। ऐसा क्यों है कि कुछ लोग दूसरों की तुलना में अपने आप को  अधिक महंत देते हैं। आपको जीवन मिल गया है और किसी और की तुलना में नहीं। यह मानव स्वभाव है: हम हर चीज का शोषण करते हैं, जब तक कि हम या तो गिर नहीं जाते हैं। या हमें कोई गिराए नहीं तब तक शोषण करते रहते है।  मानव दूसरों की सफलता या असफलता को ज्यादा अच्छे से देखता है। वह स्वयं किस स्तर पर खड़ा है। या होना चाहता इसका ध्यान कम ही रखते है। जब तक आप किसी भूमिका मे होते है तब तक अस्तित्व में रहते हो। जैसे ही काम निकला आपको लोग भूलने लगते है। बहुत कम लोग है जो आपके किये उपकार को मानते रहते है। क्या हम

झुकना Band

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आवश्यकता के अनुसार   एक  हद तक झुकना सही है। लेकिन बारबार आपको ही झुकना पड़े तो आपके लिए ठीक नही है। और सोचना होगा की सही होते हुए मैं क्यों झुक रहा हूँ? इस बात पर निर्भर करता है कि जरूरत कितनी बड़ी है। बिना गलती के झुकना अपनी बड़ी गलती होती है। रिश्ते की नींव आपसी तालमेल पर टिकी रहती है। हमेशा एक को झुकना पड़े तो सही नहीं है। जिसकी सोच -समझ प्रवृति बेहद अक्खड़, बदमिजाजी, अहंकारी और क्रोधी स्तर की होती है। वह समाज की मुख्यधारा में नहीं रह सकते। ऐसे लोग संबंधों को अच्छे से निभा नहीं सकते।  अहंकारी स्वभाव इतना खराब है कि उनसे ज्यादा मेलजोल रखना नामुमकिन है। वह उस किस्म का इंसान होते  है जो किसी को भी किसी भी हद तक शर्मिंदा करने का मौका नहीं छोड़ते। ऐसे में कई रिश्तेदार  उससे संपर्क नहीं रखते हैं क्योंंकि उसके मुंह कौन लगे। साथ ही पिछले अगले बातों का बहाना बनाकर वह कुछ भी अप्रिय कह देता है जिससे सुनने वाला कान पकड़ लेता है कि दुबारा इससे जितना हो सके दूर रहूंगा। वह उन लोगों में से है जो अगर आपकी मदद भी करेगा तो आप उसे दुवाए देने की बजाय भगवान से प्रार्थना करोगे की दुबारा ऐसा दिन ना दिखाना। प

कौआ Crow

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  कौआ आदि काल से इसके बारे में कहावते, इसकी जरूरतें और इसकी सोच आज भी प्रासंगिक है। और रहेगी। आज भी सनातन संस्कृति में कौआ का मान है। और रहेगा। काला कौआ को ज्यादा माना देते है। कौआ जल्दी से किसी पर विश्वास नहीं करता है। यह पहले वस्तु स्थिति को जांचता-परखता है। फिर अपनी क्रिया प्रक्रिया करता है  प्यासा कौआ कहानी के बारे सब जानते है  कौवओ की अनेको प्रजातियां होती है। लेकिन घरेलू कौआ ही ज्यादा उपमा रखता है। इसके समूह को डार कहते है। कौआ सर्वाहारी होता है।  कौआ खतरा भापन ने माहिर होता है। एक आवाज से सब को इक्कठा कर लेता है। यह आवाज बदलने में बड़ा सिद्वहस्त होता है। कौआ संदेश वाहक भी माना जाता है। मुंडेर पर बोलने पर मेहमान आने की भविष्य वाणी मानी जाती है। कौआ अपने भोजन को सुरक्षित भी रख लेता है।  ज्योतिष विज्ञान में इसकी हर हरकत के फल को बताते है जैसे सिर पर बैठने को बहुत ही अशुभ माना जाता है। पितर पक्ष में पूर्वजों तक भोजन इसके लिए कौओ को घर की छत पर भोजन रखा जाता है। ऐसी परम्परा चली आ रही है। चालाक पक्षि होता है। अकेला रहना पसंद करता है। बर्ड फ्लू से इनकी मृत्यु हो रही है। यह दुखद है।  The

नैतिकता का पाठ

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नैतिकता आचरण / व्यवहार की वह  एक शाखा है जो समाज के भीतर सही और गलत की अवधारणा को अंतर करती है। लगभग हर समाज द्वारा वर्णित नैतिकता बहुत हद तक समान हैं। यह अवधारणा सरल है क्योंकि हर व्यक्ति एक-दूसरे से अलग है अलग -अलग होने के कई बार यह संघर्ष का कारण भी बन सकता है। नैतिकता की अवधारणा मुख्य तो एक समाज की संस्कृति और धर्म पर आधारित है। सच में चरित्र ही नैतिकता होती है। आदतें और चरित्र उन नैतिक मूल्यों के बारे में बताते हैं जो हमारे पास हैं। दूसरे शब्दों में एक व्यक्ति के नैतिक मूल्य उसके चरित्र को परिभाषित करते हैं। हम सभी को समाज द्वारा निर्धारित नैतिकताओं के आधार पर क्या अच्छा है और क्या बुरा है इसके बारे में बताया गया है। नैतिकता की सोच नैतिकता की सोच के हर स्तर पर दिखाई पड़ती है।  नैतिकता एक ऐसे व्यक्ति के बारे में निर्धारित मानकों का विश्लेषण करती है जो किसी भी स्थिति में व्यक्ति को उचित व्यवहार करने की अनुमति देता है। नैतिकता यह सिखाती है कि हम सही और गलत की अवधारणा को कैसे समझते हैं यह मूल रूप से नैतिक सिद्धांतों के उत्पत्ति और मौलिक अर्थ को देखता है। जहाँ नैतिक यथार्थवादियों का मान