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Showing posts from March, 2021

मन के सिद्धांत

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मानता है कि हर कोई सोचता है, महसूस करता है, और वही चीजें जानता है जो वह सोचता है, महसूस करता है, और जानता है। ज्यादातर आत्मक्रेंद्रित  व्यक्तियों  में झूठ बोलने की क्षमता नहीं होती है, जो जरूरी नहीं कि एक बुरी चीज है। झूठ न बोलना अवश्य ही अच्छी बात है।लेकिन स्पष्ट रूप से अप्राकृतिक है। वे एक विकल्प को झूठ बोलने पर भी विचार नहीं करते क्योंकि वे मानते हैं कि हर कोई सच्चाई जानता है क्योंकि वे इसे जानते हैं। क्योंकि आत्मक्रेंद्रित व्यक्तियों में झूठ बोलने की क्षमता नहीं होती है, उन्हें यह भी एहसास नहीं होता है कि अन्य लोग ऐसा करते हैं। वास्तव में आत्मक्रेंद्रित  लोगों के लिए यह पता लगाना एक अशिष्ट जागृति है कि अन्य झूठ बोलते हैं या सामान्य रूप से खराब होते हैं। यह विशेष रूप से अनावश्यक है जब पहली बार व्यापार की दुनिया में अनुभव किया जाता है, और कई आत्मक्रेंद्रित व्यक्तियों को यह नहीं पता है कि इससे कैसे सामना किया जाए। क्योंकि वे मानते हैं कि हर कोई दुनिया को वैसा ही देखता है जैसा वे करते हैं, उनके लिए खुद को दूसरों के जूतों में रखना मुश्किल होता है। बेशक, यह सिखाया जा सकता है, लेकिन दुर्भ

कोरोना के प्रति लापरवाही अच्छी नही NEGLIGENCE TOWARDS CORONA IS NOT GOOD

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  पुरा संसार पिछले एक साल से ज्यादा समय से सबको डरा रहा है। बहुतों ने तो अपनी जान भी गंवा दी। गांव ढाणी से लेकर महानगरीय जीवन तक को अपने प्रभाव से दुखी किया हुआ है। कोरोना क्योंकि हमारे साथ एक लम्बे समय से है। इसलिए आजकल लोगबाग ज्यादा लापरवाहियाँ बरतने लगे हैं। जो सबके लिए अच्छी बात नहीं हैं।  लापरवाह होने के कारण  1 कोरोना के लम्बे समय से रहने के कारण बेपरवाह होने लगे हैं। 2. मन में यह बात घर कर रही है कि अब तो कोरोना की दवा आ गई है। 3. सुगमता से उपचार भी होने लगा है। 4. निजी जरूरतों पर ध्यान अधिक होने लगा है। 5. पक्का पता नहीं हैं कि कोरोना कितने समय तक ओर रहने वाला है। 6. भारत में कोरोना लगभग खत्म सा हो गया था। लेकिन अब फिर से बढ रहा है तो लोग विश्वास भी नहीं कर रहें कि कोरोना बढ रहा है। 7. 2 गज की दूरी का महत्व भी नहीं समझ रहें। यातायात के साधनों में भी  खचाखच भरे जा रहे हैं। 8. बाजारों में भी भीड़ बेशुमार होने लगी है।  9. आंदोलनों ने भी भीड़ बढाई और 2 गज की दूरी के सिद्धांत को तारतार किया। 10. चुनावी रैलियों उमड़ने वाली भीड़ से कोरोना ना फैले तो भी फैले। जरूरत इस बात की है कि मुंह ढक

आज मंगलवार है हनुमान भजन

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आज मंगलवार है आज मंगलवार है महावीर का वार है  ये सच्चा दरबार है सच्चे मन से ध्यावे  उसका बेड़ा पार है  चैत्र सुदी पूनम मंगल का  जन्म वीर ने पाया है  लाल लंगोट गदा हाथ में  सर पर मुकुट सजाया है  शंकर का अवतार है  महावीर का वार है  सच्चे मन से जो ध्यावे  उसका बेड़ा पार है  ब्रह्मा जी के ब्रह्म ज्ञान का  बल भी तुमने पाया है  राम काज शिव शंकर ने  वानर रूप धारिया है  लीला अपरमपार है  महावीर का वार है  सच्चे मन से कोई ध्यावे  उसका बेड़ा पार है  बालापन मे महावीर ने  हरदम ध्यान लगाया है  श्रम दिया ऋषिओं ने तुमको  ब्रह्म ध्यान लगाया है  राम रामाधार है  महावीर का वार है  सच्चे मन से कोई ध्यावे उसका बेड़ा पार है  राम जन्म हुआ अयोध्या में  कैसा नाच नचाया है  कहा राम ने लक्ष्मण से ये  वानर मन को भाया है  राम चरण से प्यार है  महावीर का वार है  सच्चे मन से कोई ध्यावे उसका बेड़ा पार है  पंचवटी से माता को जब  रावण लेकर आया है  लंका में जाकर तुमने  माता का पता लगाया है  अक्छाय को मार है  महावीर का वार  सच्चे मन से कोई ध्यावे उसका बेड़ा पार है  मेघनाथ ने ब्रह्मपाश में  तुमको आन फसाया है  ब्रह्मपाश में फसकर के 

शिव तांडव स्त्रोत Shiv tandav lyrics and song

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 शिव तांडव स्त्रोत एक कालजयी रचना है। इसको गाना,बोलना और सुनना सुनाना सबको अच्छा लगता है। क्योंकि यह रचना संस्कृत में है। ज्यादातर इसके शब्दों को लोगबाग नही समझते हैं फिर भी इसको सुनना पसंद करते हैं। संस्कृत को  देवो की भाषा कहते हैं।  शिव तांडव स्त्रोत भी कालजयी रचना है। जो आज भी बड़ी प्रासंगिक है आज भी इसकी महानता है। जब कही भी इसका गायन होता है तो लोग शांतचित्त होकर सुनते हैं।  संस्कृत में शब्द ज्यादात्तर एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। इसलिए इनको पढना और बोलना कठिन सा लगता है। पहले हर शब्द अलग-अलग कर के पढ लिया जाय तो फिर पढना बोलना और गायन करना आसान हो जाता है।  The Shiva Tandava source is a classic creation.  Everyone loves to sing, speak and listen to it.  Because this composition is in Sanskrit.  Most people do not understand its words but still like to listen to it.  Sanskrit is called the language of gods.  The Shiva Tandava source is also a classic creation.  What is very relevant even today is its greatness.  Whenever it is sung, people listen calmly.  Most of the words in Sanskr

Bajrag baan listen to peace of mind

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🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰🏠🏠🏠🏠🏠🎾🎾🎾🎾🎾🎾💐💐💐💐💐 बजरंग बाण का पाठ करने और सुनने से मन परम शान्ति आती है। मन साहस से भर जाता है। भय तो दूर दूर तक नहीं ठहरता है। जब मैं असहजता महसूस करता हूं तो हनुमान चालिसा बजरंग बाण और  महराणा प्रताप पर रचि रचना ( अरे घास की रोटी ) अवश्य सुनता हूँ। आप भी सुनकर आनंद ले सकते हैं  निश्चय प्रेम प्रतीति ते,बिनय करैं सनमान  तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान  जय हनुमंत संत हितकारी सुन लीजै प्रभु अरज हमारी  जन के काज बिलंब न कीजै आतुर दौरि महा सुख दिजै  जैसे कूदि सिंधु महिपारा सुरसा बदन पैठि बिस्तारा  आगे जाय लंकिनी रोका मारेहु लात गई सुरलोका  जाय बिभीषण को सुख दीन्हा सीता निरखि परमपद लीन्हा  बाग उजारि सिंधु मांह बोरा अति आतुर जम का तर तोरा  अक्षय कुमार मारि संहारा लूम लपेट लंक को जारा  लाह समान लंक जरि गई जय जय धुनि सुरपुर नभ भई  अब बिलंब केहि कारण स्वामी कृपा करहु उर अंतरजामी  जय जय लखन प्राण के दाता आतुर ह्वै दुख करहु निपाता  जै हनुमान जयति बल सागर सुर समूह समरथ भटनागर  ॐ ह्वीं ह्वीं ह्वीं हनुमंत कपीसा ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा  जय अंजनि कुमार

HANUMAN CHALISA हनुमान चालिसा

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  हनुमान चालिसा श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि अर्थात् - श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र कर के श्री रघुवीर के निर्मल यश का गान करता हूँ  जो चारों फलो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाला है।  ************************************ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार   अर्थात् --हे पवन कुमार मैं आपका ध्यान करता हूँ।आप तो जानते ही हैं कि मेरा तन और विवेक  निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान का प्रकाश दें और मेरे सब दुखों और दोषों का विनाश  करें  जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर  अर्थात् ---श्री हनुमान जी! आपकी सदा जय हो। आपका ज्ञान और गुण अंतहीन है। हे कपीश्वर आपकी जय हो  तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपका ही जस है। ----------------------------------- राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा अर्थात् --- हे पवनसुत अंजनी पुत्र  आपके बराबर अन्य शक्तिशाली नहीं है। **** ----------------- महावीर विक

hay hay ye majboori ye mausam ye doori

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  अरे हाय हाय ये मजबूरी फिल्म--रोटी कपडा और मकन (1974)  गायिका -- लता मंगेशकर   संगीत-- लक्ष्मीकांत ,  प्यारेलाल गीतकार--वर्मा मलिक कलाकार -मनोज जीनत अमान ------------------------------- अरे हाय हाय ये मज़बूरी ये मौसम और ये दूरी अरे हाय ये मज़बूरी ये मौसम और ये दूरी मुझे पल पल है तड़पाये  तेरी दो टकिया दी नौकरी में मेरा लाखों का सावन होना ~~~~~~~~~~~~ कितने सावन बीत गया बैठी हूँ आस लगाये जिस सावन में मिले सज़वा वो सावन कब आये कब आये मधुर मिलन का ये सावन हाथों से निकल जाए ~~~~~~~~~~~~~~~~~ तेरी दो टकिया दी नौकरी में मेरे लाखों का सावन हो जाए अरे हाय ये ये मज़बूरी ये मौसम और ये दूरी ~~~~~~~~~~~~~ मुझे पल पल तड़पाये तेरी दो टकिया दी नौकरी में मेरा लाखों का सावन होना होगा अरे हाय ये मज़बूरी ये मौसम और ये दूरी ~~~~~~~~~~~ प्रेम का ऐसा बंधन है प्रेम का ऐसा बंधन है ... जो बन्धके फ़िर ना टूटे। अरे नौकरी का है क्या भरोसा आज़ादी से मिले कल छूटे ... कल छूटे अम्बर पे है रचा स्वयंवर फ़िर भी तू घबराये ~~~~~~~~~~~~ तेरी दो टकिया दी नौकरी में मेरा लाखों का सावन हो ~~~~~~~~~~~~ डंग डिंग, डंग डिंग, डिं

जीत ही जाएंगे

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  जीत जायेंगे हम जीत जायेंगे हम तू अगर संग हैं ज़िन्दगी हर कदम एक नयी जंग हैं ज़िन्दगी हर कदम एक नयी जंग हैं जीत ही जाएंगे जीत जायेंगे हम जीत जायेंगे हम तू अगर संग हैं ज़िन्दगी हर कदम एक नयी जंग हैं ज़िन्दगी हर कदम एक नयी जंग हैं तूने ही सजाये हैं मेरे होठों पे ये गीत तूने ही सजाये हैं मेरे होठों पे ये गीत तेरी प्रीत से मेरे जीवन में बिखरा संगीत मेरा सब कुछ तेरी देन हैं मेरे मन के मीत मैं हूँ एक तस्वीर तू मेरा रूप रंग हैं ज़िन्दगी हर कदम एक नयी जंग हैं ज़िन्दगी ज़िन्दगी हर कदम एक नयी जंग हैं हौसला ना छोड़ कर सामना जहां का हौसला ना छोड़ कर सामना जहां का वो बदल रहा है देख रंग आसमान का रंग आसमान का ये शिकस्त का नही ये फ़तेह का रंग है ज़िंदगी हर कदम एक नयी जंग है ज़िंदगी हर कदम एक नयी जंग है रोज़ कहाँ ढूँढेगे सूरज चाँद सितारों को रोज़ कहाँ ढूँढेगे सूरज चाँद सितारों को आग लगा कर हम रोशन कर लेंगे अँधियारो को आग लगा कर हम रोशन कर लेंगे अँधियारो को गम नही जब तलक़ दिल मे ये उमंग है ज़िंदगी हर कदम एक नई जंग है ज़िंदगी हर कदम एक नई जंग है जीत जायेंगे हम जीत जायेंगे हम तू अगर संग

सो गया ये जहां so gya ye jahan

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सो गया ये जहां सो गया ये आसमान सो गया ये जहां सो गया आसमान सो गयी है सारी मन्ज़िलें  ओ सारी मन्ज़िलें सो गया है रस्ता  सो गया ये जहां सो गया आसमान रात आई तो वो जिनके घर थे  वो घर को गये सो गये  रात आई तो हम जैसे आवारा  फिर निकले राहों में आ खो गये इस गली उस गली इस नगर उस नगर  जायें भी तो कहाँ जाना चाहें अगर  ओ सो गयी है सारी मन्ज़िलें  ओ सारी मन्ज़िलें सो गया है रस्ता  सो गया ये जहां सो गया आसमान कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी कहो  हो पास तो ऐसी चुप ना रहो  हम पास भी हैं और दूर भी हैं  आज़ाद भी हैं मजबूर भी हैं  क्यूँ प्यार का मौसम बीत गया  क्यूँ हमसे ज़माना जीत गया  हर घड़ी मेरा दिल गम के घेरे में है  ज़िंदगी दूर तक अब अन्धेरे में है  अन्धेरे में है, अन्धेरे में है  ओ सो गयी है सारी मन्ज़िलें  ओ सारी मन्ज़िलें सो गया है रस्ता  सो गया ये जहां सो गया आसमान 

Dhire dhire bol koe sun na le धीरे धीरे बोल कोई सुन ना ले

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धीरे धीरे बोल कोई सुन ना ले धीरे-धीरे बोल कोई सुन न ले, सुन न ले कोई सुन न ले सेज से कलियाँ चुन न ले, चुन न ले कोई चुन न ले हमको किसी का डर नहीं कोई ज़ोर जवानी पर नहीं धीरे-धीरे... कुछ कह ले कुछ कर ले ये संसार हम प्रेमी हैं हम तो करेंगे प्यार कोई देख ले तो देख ले, कोई जान ले तो जान ले कोई दोश हमारे सर नहीं, कोई ज़ोर... बातों के बदले आँखों से लो काम वरना हम हो जायेंगे रे बदनाम नादान तुम अंजान तुम  मान लो तुमबेईमान तुम क्यूँ चैन तुम्हें पल भर नहीं, कोई ज़ोर... इक इक  दिन अब लगता है इक साल तेरे बिन अब मेरा भी है यही हाल आ प्यार कर दुनिया से डर मत दूर जा मत पास आ मैं शीशा हूँ पत्थर नहीं, कोई ज़ोर… dhiire-dhiire bol koii sun na le, sun na le koii sun na le sej se kaliyaa.N chun na le, chun na le koii chun na le hamako kisii kaa Dar nahii.n koii zor javaanii par nahii.n dhiire-dhiire... kuchh kah le kuchh kar le ye sa.nsaar ham premii hai.n ham to kare.nge pyaar koii dekh le to dekh le, koii jaan le to jaan le koii dosh hamaare sar nahii.n, koii zor... baato.n ke badale aa.Nkho.n se lo kaam vara

Tauba yeh matwali chal तौबा ये मतवाली चाल। पत्थर के सनम

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  तौबा ये मतवाली चाल तौबा ये मतवाली चाल,झुक जाए फूलों की डाल  चाँद और सूरज आकर माँगें तुझसे रँग ए जमाल  हसीना तेरी मिसाल कहाँ -2 सितम ये अदाओं की रानाइयाँ है कयामत है क्या तेरी अँगड़ाइयाँ है बहार ए चमन हो घटा हो धनक हो ये सब तेरी सूरत की परछाइयाँ है के तन से उड़ता गुलाल कहाँ तौबा ये मतवाली चाल झुक जाए फूलों की डाल  चाँद और सूरज आकर माँगें तुझसे रँग ए जमाल  हसीना तेरी मिसाल कहाँ -2 यही दिल में है तेरे नजदीक आ के  मिलूँ तेरे पलकों पे पलके झुका के  जो तुझसा हसीं सामने हो तो कैसे  चला जाऊँ पहलू में दिल को दबा के  मेरी इतनी मजाल कहाँ  तौबा ये मतवाली चाल झुक जाए फूलों की डाल  चाँद और सूरज आकर माँगें तुझसे रँग ए जमाल  हसीना तेरी मिसाल कहाँ -2 हूँ मैं भी दीवानों का शाहजादा तुझे देखकर हो गया कुछ ज्यादा  खुदा के लिए मत बुरा मान जाना  ये लब छू लिये है यूँ ही बे इरादा  नशे में इतना खयाल कहाँ  तौबा ये मतवाली चाल झुक जाए फूलों की डाल  चाँद और सूरज आकर माँगें तुझसे रँग ए जमाल  हसीना तेरी मिसाल कहाँ 

What do we mean by traces of life? बुद्धिमान व्यक्तित्व

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इक बंनजारा गाये जीवन के गीत सुनाए जीवन है तो जीवन की एक पहचान भी होनी चाहिए और किसी न किसी रूप में होती भी है। एक की नजर में एक व्यक्ति कोई काम का नहीं वही व्यक्ति किसी दूसरे की नजर में बहुत काम का हो सकता है। व्यक्ति किसके साथ है या या वह किसके साथ है। यह एक पहचान तो हो सकती है। लेकिन पहचान व्यक्तिगत भी होती हैं। आज का विषय यही है व्यक्तिगत पहचान क्या है और कैसे है? व्यक्तिगत पहचान कई तरह की होती है और कई तरह की होती है। जो निम्न है जन्म -- जन्म के साथ ही पहचान शुरू हो जाती हैं  यह तो नवजात है, यह तो बालक है, युवा,गृहस्त, अधेड़, प्रौढ़ है। साधारण जीवन चक्र या पहचान है व्यक्ति अपनी अच्छी  पहचान बनाने के लिए स्वयं जो करता वह करता ही है। पर व्यक्ति की पहचान के दूसरे पक्ष भी होते हैं जैसे परिवार, संस्थाएँ.. व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत पहचान बनानी चाहिए जो एक भीड़ से उसे अलग कर सके। एक पहचान दे सके। अगर व्यक्तिगत पहचान वाला जीवन चाहिए तो कुछ प्रयास अपने स्तर पर भी करने होते हैं।  छोटे छोटे लक्ष्य रखे,उनको पाने के लिए परोपकार, ईमानदारी से अपने काम करो,आध्य्त्मिक का ज्ञान प्राप्त  करे मन एकाग्र 

What is needed to live life? जीवन जीने के लिए क्या आवश्यक है।

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छोटी सी दुनिया पहचाने से रास्ते इस संसार के सभी जीवों अपना अच्छा जीवन जीने के लिये बहुत सी चीजों की आवश्यकता रहती और वो उनको पाने के लिये आवश्यक प्रयास करते भी हैं। जल,थल,नभचर के जीव अपने आप को अपनी जरूरतों को पाने के लिये सक्षम है। वो अपनी जरूरतों को अपने स्तर पर पा भी लेते हैं। लेकिन बात करते हैं मानव जीवन की तो मानव सब प्राणियों में श्रैष्ट हैं। मानव अपनी जरूरतों को एकल और समूह के माध्यम से जुटा लेता है। या जुटाने का भरसक प्रयास करता है। प्रकृति ने भी मानव को सबसे ज्यादा वस्तुओं की आवश्यकता रहती हैं। जो निम्न हैं। शारीरिक ज़रूरतें-- अच्छा खानपान मन मुताबिक शरीर के लिये आवश्यक ताकत के लिये। ज्ञात-अज्ञात रोगों से लड़ने के लिये। सबसे पहली जरूरत है 1. शुद्ध प्राणवायु 2. जल 3. पौष्टिक भोजन 4. दवा… आदि सामाजिक ज़रूरतें-- सबसे पहले 1 तन ढकने के लिये आवश्यक कपड़ा (वस्त्र ) दूसरे जीवों को तन ढकने की आवश्यकता नहीं होती है। 2. सामाजिक संबंधों के तहत रहन-सहन। 3. आवश्यक कार्यो के लिये  एकांत स्थान 4. स्वंय के अनुसार जीवन-यापन.. आदि  अन्य पक्षो पर बात करें तो मानव सब प्राणियों में उत्तम है इसके ज्ञा