भक्ति आस्था
भक्ति आस्था पर आधारित होती है।जिसके साथ जुड़ जाती है।वह उसका भक्त बन जाता है। उसमें कुछ कमियाँ या खामियां भी तो भक्त ढक देते है। अपने तरीके से उसका उत्तर देते रहते। बड़ा संबंध भक्त और भगवान के बीच माना गया है। भक्त करता सब खुद है श्रैर्य भगवान को देता है। जो अब इस संसार में नहीं है। उसका कोई भक्त है तो लोग कम सवाल दागते है। अगर वही जींदा इंसान का कोई भक्त बन जाता है तो हजारों सवाल। ऐसा क्यों? क्या आज अच्छे लोग इस संसार में नहीं है। आज जो अच्छे है कल को उनको पूजा जाएगा ऐसी परम्परा चलती आई है। हड़पकर कमाया धन और खाया भोजन व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति खत्म कर देता है। शिक्षक पहले पढाता है और फिर परीक्षा लेता है। लेकिन जिंदगी पहले परीक्षा लेती है फिर सबक सिखाती है। ढकने के लिए तीन चीज तन,धन और पक्का भोजन अस्थिर मन की सोच भी अस्थिर ही रहती है।जिसकी सोच पल-पल बदलती रहती है। उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए। अच्छा जीवन जीने के लिए अच्छा प्रयास करते रहना पड़ता है। तोता बोल सकता है लेकिन ऊंचा नहीं उड़ सकता पर बाज बिन बोले आसमान चीर देता है दौड़ने का साहस तो जुटाना ह...