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राजस्थानी लोकगीत संगीत गायन

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  लोकगीत हर एक क्षेत्र और हर एक संस्कृति की अपनी एक अलग पहचान होती हैं। रहन-सहन,खान -पान,तीज-त्यौहार,पहनावा और गायन आदि  सामाजिक जीवन में लोकगीत का बड़ा महत्व होता है। लोकगीतों को किसने रचा और किसने पहली बार गाया शायद ही कोई जानता हो। पिढि दर पिढि चलते हुए आज भी अपनी पहचान रखते हैं। बात करते हैं राजस्थानी लोकगीतों की तो हर एक अवसर पर गाया जा सकता है। सुख-दुख,खुशी के अवसरों पर गायन किया जा सकते हैं। लोकगीतों के अपनी -अपनी शैली के महान गायक गायका हुए हैं और आज भी देहात से लेकर बड़े शहरों में सहज ही मिल जाते हैं। लोकगीतों की रचनाएँ ऐसी होती हैं शांत-बाज के साथ और बीना कोई वाद्ययंत्र के भी गा लेते। कुछ रचनाएँ और उनके गायक जग प्रसिद्ध है  लोक गीत इस तरह के हैं  1. झोरावा गीत जैसलमेर क्षेत्र का लोकप्रिय गीत जो पत्नी अपने पति के वियोग में गाती है। 2. सुवटिया उत्तरी मेवाड़ में भील जाति की स्त्रियां पति -वियोग में तोते (सूए) को संबोधित करते हुए यह गीत गाती है। 3. पीपली गीत मारवाड़ बीकानेर तथा शेखावटी क्षेत्र में वर्षा ऋतु के समय स्त्रियों द्वारा गया जाने वाला गीत है। 4. सेंजा ग...