सहमति कठिन वहाँ उत्पादक रास्ते कारगर Find a way to find productive ways out there
हर संस्थान के लिये अच्छे नेतृत्वकर्ता और अच्छे कार्यकर्ताओं की बहुत आवश्यकता रहती हैं। संस्था सुचारु रूप से चले वो भी उत्पादकता के साथ यही पहले और अंतिम शर्त होती है। कुछ बातें हैं जो हर संस्थान के लिये जरूरी होती हैं। लोगों के विचारों का आदर -सम्मान करें भले ही वह आपके अनुरूप न हो। धन्यवाद एक ऐसा शब्द है जो आगे संवाद के रास्ते खोल देता है। धन्यवाद कहना से जुड़ाव हमेशा के लिये बना रहता है। नेतृत्व कर्ता और सहयोगियों के हर स्तर पर तालमेल जरूरी रहना चाहिए। जिससे आगे के लक्ष्य को सुगमता से पाया जा सके। अवसर की गंभीरता को समझने मे जितनी देर लगाती है वह आगे मुश्किलें ही खड़ी करती है। यह एकदम सच है। बेवजह के दावे दूसरों पर थोपने से बचना ही चाहिए। किसी भी संस्थान के लिये पहला और अंतिम व्यक्ति उपयोगकर्ता ही होता है। ग्राहक क्या चाहता है। अगर आपस में बहस का कोई कारण बन भी जाता है। तब भी सकारात्मक बने रहना चाहिए। बहस में भी सकारात्मक भाषा का प्रयोग करना चाहिए। ताकि सामने वाला अपने विचारों को रोके नहीं। क्या पता कब काम के विचार निकल आये। जिन विचारों पर सहमति ज्यादा बन रही हो उन पर अमल करना चाह...