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संबंध Relation

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 संबंध हमारे जीवन जीने का आधार होता है। स्वार्थ ही संबंधों  का निर्माण करता है। एक दाता तो दुसरा ग्राही है। संबंध सर्वोत्तम स्तर या निम्नतम स्तर पर भी नहीं बदलते जैसे भगवान कृष्ण और सुदामा जीवन स्तर दोनों का ही अलग-अलग पर संबंध अटूट  परिस्थितियों के अनुसार बदल जाए तो उसे अच्छे संबंध नहीं कह सकते। संबंध पारदर्शी होने चाहिए, संबंधों में सच्चाई हो, सम्मान हो तब संबंध बने रहते हैं  संबंध अनमोल होते हैं इन्हें संभाल और सहज कर रखने में ही भलाई हैं। कांच टूट जाता है तो टूट जाता है वैसे ही संबंध होते हैं। संबंध प्रगाढ़ तभी होंगे जब विश्वास हो संबंध  शंका-कुशंका,बैर और अहम रहित होने पर ही लम्बे चलते। अनादर का भाव नहीं आना चाहिए  सहयोग कर रहें हैं या सहयोग ले रहे हैं ऐसे भाव नहीं आने चाहिए  निस्वार्थ सहयोग की प्रवृति ही संबंधों को मजबूत बनाती हैं  अवैध संबंध कभी भी सामाजिक जीवन में अच्छे परिणाम नहीं देते। हमेशा गलत ही सिद्व होते हैं  अच्छे समाज के लिये अच्छे संबंधों का होना जरूरी होता है  Relationship is the basis of living our life.  Selfishn...