Bajrag baan listen to peace of mind
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बजरंग बाण का पाठ करने और सुनने से मन परम शान्ति आती है। मन साहस से भर जाता है। भय तो दूर दूर तक नहीं ठहरता है। जब मैं असहजता महसूस करता हूं तो हनुमान चालिसा बजरंग बाण और महराणा प्रताप पर रचि रचना ( अरे घास की रोटी ) अवश्य सुनता हूँ। आप भी सुनकर आनंद ले सकते हैं
निश्चय प्रेम प्रतीति ते,बिनय करैं सनमान
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान
जय हनुमंत संत हितकारी सुन लीजै प्रभु अरज हमारी
जन के काज बिलंब न कीजै आतुर दौरि महा सुख दिजै
जैसे कूदि सिंधु महिपारा सुरसा बदन पैठि बिस्तारा
आगे जाय लंकिनी रोका मारेहु लात गई सुरलोका
जाय बिभीषण को सुख दीन्हा सीता निरखि परमपद लीन्हा
बाग उजारि सिंधु मांह बोरा अति आतुर जम का तर तोरा
अक्षय कुमार मारि संहारा लूम लपेट लंक को जारा
लाह समान लंक जरि गई जय जय धुनि सुरपुर नभ भई
अब बिलंब केहि कारण स्वामी कृपा करहु उर अंतरजामी
जय जय लखन प्राण के दाता आतुर ह्वै दुख करहु निपाता
जै हनुमान जयति बल सागर सुर समूह समरथ भटनागर
ॐ ह्वीं ह्वीं ह्वीं हनुमंत कपीसा ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा
जय अंजनि कुमार बलवंता शंकरसुवन बीर हनुमंता
बदन कराल काल कुल घालक राम सहाय सदा प्रतिपालक
भूत प्रेत पिसाच निसाचर अगिन बेताल काल मारी मर
इन्हें मारू तोहि सपथ राम की राखु नाथ मरजाद नाम की
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै राम दूत धरू मांरू धाइ के
जय जय जय हनुमंत अगाधा दुख पावत जन केहि अपराधा
पूजा जप तप नेम अचारा नहिं जानत कछु दास तुम्हारा
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं
जनकसुता हरि दास कहावौ ताकि सपथ बिलंब न लावौ
जै जै जै धुनि होत अकासा सुमिरत होय दुसह दुख नासा
चरन पकरि कर जोरि मनावौं यहि औसर अब केहि गोहरावौं
उठु उठु चलुं तोहि राम दुहाई पायँ परौं कर जोरि मनाई
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ॐ सं सं सहमि पराने खल दल
अपने जन को तुरन्त उबारौ सुमिरत होय आनंद हमारौ
यह बजरंग बाण जेहि मारै ताहि कहौ फिरि कवन उबारै
पाठ करै बजरंग बाण की हनुमंत रक्षा करै प्राण की
यह बजरंग बाण जो जापै तासों भूत प्रेत सब कापैं
धूप देय जो जपै हमेसा ताके तन नहिं रहै कलेसा
उर प्रतीति दृढ़ सरन ह्वै पाठ करै धरि ध्यान बाधा सब हर करै सब काम सफल हनुमान बजरंग बाण
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