खुशी के सूत्र Khushi ke sutra
कोरोना काल हमारा जीवन
आज इस महामारी प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रूप से सब के जीवन को प्रभावित कर रखा है। उपर से यह ताऊ ते समुंदरी तूफान बड़े स्तर पर आया है। आज मानव जीवन अनेकों परीक्षाओं से ना चाहते हुए से गुजरना पड़ रहा है। सिवाय परीक्षा देने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा है।
ऐसे समय में कुछ रचनात्मक बातों पर चलकर इस काल से पाया जा सकता है।
वर्तमान समय और गुजरे समय में से अच्छी आदतें अपनाकर इससे पार पाया जा सकता है।जीवन अनंत ऊर्जा का भंडार है। आज इसी अनंत ऊर्जा को अपनाने की जरूरत है। बचाव के लिए सबसे जरूरी और प्रथम होता है सुरक्षा कवच। अगर आपके पास सुरक्षा कवच ठीक ढंग का है तो जीवन के रास्ते सहज ही आसान हो जाता है।
आनंद - हमेशा नकारात्मकता मेें भी सकारात्मकता खोजते रहना चाहिए। छोटी -छोटी बातों में भी आनंद तलाशते रहें। जीवन में दुखों के पहाड़ कभी -कभार ही टूटते। साहसी लोग तो उनसे भी पार पा लेते।
प्राकृतिक सत्ता से मुलाकात करते रहें। जितने हम प्राकृतिक सत्ता से दूर जाएंगे। उतना ही हमें पीड़ा होगी। अगर मानव समाज प्रकृति के साथ छेड़छाड़ न करें तो कुदरत भी अपना रौद्र रूप कम दिखाती है।
हर समस्या का हल आपके ही पास है और समस्याएँ लगभग सभी की एक जैसी होती हैं। यह भी तय है कि समाधान भी लगभग एक जैसे होते हैं। हास्य को बारबार दोहराया जाये तो हास्य भी अपना महत्व खो देता है। एक चुटकला आपको बारबार हंसा नहीं सकता तो एक ही समस्या आपको बारबार रूला नहीं सकती। जो आपके वश में नहीं हैं, उसके बारे में चिंता करके क्या मिल जाएगा। सिवाय अपने आप को क्षीण सीण करने के।
अच्छाइयों को याद रखो। आपके जीवन में जो खुशियों के रंग भरते है वह सहजे स्थाई रूप से। जिन बातों की जीवन में सार्थकता है उन्हीं बातों को महत्व दें। बाकि सब बवंडर होती हैं जो स्थाई नहीं रहती है।
जिम्मेदारियों से कदापि नहीं बचना चाहिए। भले ही वो सौ प्रतिशत ना भी निभाईं जाए। पर जितनी भी निभाईं जाए वो सच्चे मन से निभाई जाए। जो जिम्मेदार लगे उसे ही जिम्मेदारी दी जाती हैं। अविश्वासी पर तो अपने भी विश्वास नहीं करते। कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से मत बचिए। स्वीकारना सीखे।
उठो,जागो और तब तक मत रूको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।
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