मित्रता कैसी होनी चाहिए? Miitarta kaiserslautern honing chahiye
अमुमन मित्रता के दो ही रूप होते हैं एक स्थाई जो चिर काल तक चलती है दूसरी अस्थाई जो समय स्थान तक सीमित रहती हैं।
स्थाई मित्रता - स्थाई मित्रता पर स्थान,जगह का प्रभाव नहीं पड़ता। स्थाई मित्रता वाले लोग किसी न किसी माध्य से जुड़े रहते हैं। भले ही दोनों के बीच हजारों किलोमीटर की दूरी हो। जब भी समय मिलता है। एक दूसरे से मिलते। एक दूसरे के सुख दुख में अपनापन दिखाते हैं। बराबर की सहनता होती हैं। कृष्ण सुदामा की मित्रता जग जाहिर है। जिनकी मिसाल आज भी चलन में है। सच्ची मित्रता जीवन प्रयंत तक चलती है।
अस्थाई मित्रता -- यह समय या स्थान तक सीमित रहती हैं। जैसे जो अकसर किसी यात्रा के दौरान बन जाती हैं। जिसका भी पहले पड़ाव आया वो उतरा मित्रता भी खतम।
आधे भरे गिलास को अगर आपके दोस्त आधा खाली देखते हैं। तो वो नकारात्मक सोच के होंगे। यदि वो आधा भरा मानते हैं तो वो निश्चय ही सकारात्मक होंगे। कौन दोस्त अच्छा होगा कौन अच्छा नहीं होगा यह कह पाना बहुत कठिन है। जो समस्याएँ पैदा करे, बनते या चलते कार्यों में व्यवधान पैदा करै ,जो जानबूझकर गलत रास्ते पर ले जाए। ऐसे दोस्त निश्चय ही गलत होंगे। इन से दूरियां ही भली। सकारात्मक सोच वाले दोस्त बनाए। बीना दोस्ती के जीवन बेरंग हो जाता है। आप अपने रिश्तेदारों में कह सकते हो की यह मेरा दोस्त हैं। ऐसा यकीन एक-दूसरे पर होना चाहिए।
गलत दोस्त के चुनाव से जिंदगी में खुशियों का आंकड़ा कम हो जाता है। इससे जीवन में घोर परेशानियाँ पनपती है। समाधान ढूँढ़ते- ढूँढ़ते थक जाता है। इसलिये दोस्ती करने से पहले हजार बार सोचें। गलत दोस्त को अपने से दूर रखे।
जीवन का मतलब कम दोस्त जीवन में कम खुशियां। सच्चे दोस्तों की संख्या बढाते रहें। आशाओं को बनाए रखने के लिए सच्चे दोस्तों की जरूरत पड़ती है। सच्चे दोस्त ही पुरी करते हैं। जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना सहजता से हो पाता है। जिनके पास सच्चे दोस्तों की संख्या ज्यादा होती हैं। वे विश्वासी,साहसी और कर्तव्यों से भरे रहते हैं। दोस्ती में स्वार्थ के लिए कोई स्थान नहीं होता है। अगर आपके आसपास नकारात्मक भावनाएँ पैदा हो रही हैं या है तो उनसे अपने आप उन से दूर ले जाएं।
जो दोस्त आपसे दूर है। उनसे सिर्फ फोन से बात करें। आवाज सुनकर अपनत्व का अहसास होता है। जबकि संदेश आदि तो बनावटी भी लग सकते हैं।मित्रता हमें सेवा,पराक्रम और उम्मीद का अहसास कराती है। इसलिए मित्रता में धोखे या धोखेबाज़ों को कोई जगह नहीं होती हैं। विनम्रता दोस्ती की सच्ची ताकत होती हैं।
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