Butterfly life cycle compared to human lifestyle



छोटी सी दुनिया

अहसानमंद

तितलियों का जीवन मानव पर गहरा असर पड़ता है। तितलियाँ बहुत से रंगो से सुशोभित होती हैं। हरियाली से तितलियों का गहरा नाता होता है। तितलियों को हमेशा फूलों से स्नेह होता तभी तो ये फूलों पर मंडराती रहती हैं। अगर मानव भी तितलियों जैसा व्यवहार करने लगे तो चारों ओर हरियाली ही हरियाली हो। पीड़ादायक कोई चीज ना हो।

आपकी दशा और दिशा ठीक होनी चाहिए।फिर कोई खास फर्क नहीं पड़ता की कौन आपके साथ है और कौन आपके विरूद्व है। तितलियों की तरह मिसाल बनो सवाल नहीं। तितलियों में एक नशा एक उत्साह होता है  फूलो पर मंडराने का। कहते भी हैं नशा तो मेरे खुन में है साकी अगर होता शराब में तो बोतल ना नाच उठती।  तितलियाँ हमारे जीवन में रंग भरती है।

कौन सच्चा कौन झूठा आप सच्चे बने रहो। फिर भी आपके साथ है वह सच्चा और जो पतली गली पकड़ ले वह झूठा। तितलियाँ दृश्य को बड़ा मनमोहक बना देती है।अगर हम भी प्रयत्न करें तो इस संसार रूपी बगिया को बड़े ही खूबसूरत रंग भर सकते हैं।

थोड़ा पढना, अधिक सोचना, कम बोलना और और ज्यादा सुनना। यह चार उपाय आपको बुद्धिमान बनाती हैं। तितलियों की तरह हौसलों को बुलंद रखो। फिर परेशानियाँ कितनी भी बड़ी क्यों ना हो। जीत आपकी ही होगी। जो अपने कर्म नहीं पहचानता वह आंखें होते हुए भी अंधा है। बुरा वक्त तो निकल जाएगा लेकिन जिसने जैसा व्यवहार किया वह मरते दम तक याद रहता है।

जीवन में आप क्या बनोगे यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किसका अनुसरण करते हैं। काम में हमेशा आगे रहना है तो अपने विषय के बारे में हर दिन दिन पढिए। लक्ष्य प्राप्ति के दौरान भावनाएँ रचनात्मकता को गति देती है। पैसा ही पैसों को खींचता है। आप पैसा बचा सकते हो तो कमा भी सकते हो। भूख से कम खाना सदैव अच्छा होता है।

प्रेम और अंहकार एक जगह नहीं रह सकते। प्रेम एक युद्ध है जिसका सामना अंहकार से होता रहता है। खुश वे है जो पुरी हिम्मत से प्यारी चीजों को बचाते रहते हैं। सीखने के अधिकार से अपने -आप को वंचित ना करें शत्रु से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। आदतें  धीरे -धीरे चरित्र बनती है। अच्छे काम सराहा तब जाता है जब उसको पुरस्कार मिल जाए।

उदैश्य के बीना जीवन आगे नहीं बढ सकता।

हवाएँ अगर मौसम का रूख बदल सकती है तो दुआएँ भी मुश्बित का रूख बदल सकती है।

गलती होने पर क्षमा भी किया जा सकता है पर विश्वास टूटने पर नहीं। मदद करने के लिये सिर्फ़ धन की ही जरूरत नहीं होती हैं इसके के लिये एक अच्छे मन की भी जरूरत होती हैं। कठिन समय में भी अपने लक्ष्य को मत छोड़िए और विपत्ति को भी अवसर में बदलिए। बुरे वक्त में भी साहस और सुझबुझ का परिचय दें। 

जैसे के साथ वैसा बनना कभी -कभी ठीक होता है। 

समर्पण के लिये उचित वाक्य ´´ मैं धरती तू आसमान मेरी हस्ती पर छा गया तू ´´

जीवन आपका सपने आपके फिर हार क्यों?

पालतू अपने फालतू तो बस फालतू  ही होते हैं।

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