What is needed to live life? जीवन जीने के लिए क्या आवश्यक है।




छोटी सी दुनिया पहचाने से रास्ते


इस संसार के सभी जीवों अपना अच्छा जीवन जीने के लिये बहुत सी चीजों की आवश्यकता रहती और वो उनको पाने के लिये आवश्यक प्रयास करते भी हैं। जल,थल,नभचर के जीव अपने आप को अपनी जरूरतों को पाने के लिये सक्षम है। वो अपनी जरूरतों को अपने स्तर पर पा भी लेते हैं। लेकिन बात करते हैं मानव जीवन की तो मानव सब प्राणियों में श्रैष्ट हैं। मानव अपनी जरूरतों को एकल और समूह के माध्यम से जुटा लेता है। या जुटाने का भरसक प्रयास करता है। प्रकृति ने भी मानव को सबसे ज्यादा वस्तुओं की आवश्यकता रहती हैं। जो निम्न हैं।

शारीरिक ज़रूरतें-- अच्छा खानपान मन मुताबिक शरीर के लिये आवश्यक ताकत के लिये। ज्ञात-अज्ञात रोगों से लड़ने के लिये। सबसे पहली जरूरत है 1. शुद्ध प्राणवायु 2. जल 3. पौष्टिक भोजन 4. दवा… आदि

सामाजिक ज़रूरतें-- सबसे पहले 1 तन ढकने के लिये आवश्यक कपड़ा (वस्त्र ) दूसरे जीवों को तन ढकने की आवश्यकता नहीं होती है। 2. सामाजिक संबंधों के तहत रहन-सहन। 3. आवश्यक कार्यो के लिये  एकांत स्थान 4. स्वंय के अनुसार जीवन-यापन.. आदि 

अन्य पक्षो पर बात करें तो मानव सब प्राणियों में उत्तम है इसके ज्ञान का विस्तार ज्यादा है। विज्ञान और भगवान(प्रकृति) के साथ मानव का रिश्ते ज्यादा गहरा है। दूसरे जीवों की अपनी -अपनी बाधाऐं है। जैसे मछली आसमान में उड़ नहीं सकती। पक्षी पानी की गहराई में उतर नहीं सकते। लेकिन मानव की पहुँच सब जगह है। या मानव की बनाई वस्तुएं वहां होती हैं। ग्रह उपग्रह पर मानव उपस्थिति नगण्य है लेकिन मानव निर्मित यंत्र वहां भी काम कर रहे हैं। मानव निर्मित यंत्रों का प्रभाव मानव और दूसरे जीवों पर भी हैं।

विज्ञान और भगवान प्रकृति के विस्तार की कोई सीमाएँ नहीं हैं। भगवान मेरे शब्दों में वह है जो पर हीत के लिये कार्य करे वो है।

प्रकृति ही सभी की रचयिता हैं और सभी को अपनी तरफ़ से वह देती हैं जिसके योग्य बन जाते हैं। सभी प्राणी प्रकृति द्वारा बनाई आत्मा का बाहरी आवरण हैं।इस संसार में प्रकृति हमें कुछ सीमित समय के लिए रखती हैं।

यह संसार प्रकृति द्वारा निर्मित एक विशाल नाटकशाला है। और हर प्राणी अपना -अपना नाटक दिखाकर चल पड़ता है। और यह नाटक वह जन्म से लेकर मृत्यु तक करता रहता है।

हर प्राणी को विचारों की पूर्ण स्वतंत्रता होती  है। कुछ बोलकर कुछ समझाकर। अपनी बात रख सकते हैं।

विचारों की स्वतंत्रता का उपयोग करके मानव उन बातों पर अपने भाव प्रकट कर सकते हैं जैसे आंसू बहाना, मुस्करा या हँसना। जब गलत होता है तो हमे पीड़ा होती हैं रोने लगते हैं। अच्छा होने पर मुस्कुराते है हम परिस्थितियों को बदलने का प्रयास करते हैं यह सोच कर कि यदि भगवान इनसे छुटकारा दिलाना चाहते हैं तब प्रयास सफल होगा अन्यथा कुछ और ज़्यादा दिनो तक पीड़ा झेलनी है। झेल लीजिए क्योंकि अब ईश्वर के हाथ है। अच्छे बुरे की समझ सब को होती हैं फिर भी लोग बुरा सोचते भी हैं और करते भी हैं।

जीव के बीना किये भी बहुत से काम होते रहते हैं जैसे बिना हमारे प्रयत्न के हम साँस लेते हैं और हमारे शरीर में खून घूमता है।

प्रकृति ही हमें हर पल चला रही हैं और इस जन्म की अंतिम जगह(मृत्यु)पर वह ले ही जाएगी।जब प्रकृति ही हमें चला रही हैं। विचारों की स्वतंत्रता का सही उपयोग करते रहिए, अपने सही लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये।


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