विपत्ति को हटाए जीवन से



जब हमारे जीवन में विकट हालात बन जाऐ क्या करें,क्या ना करें। तब समान्यत:हमारा मनोबल और उत्साह कमजोर पड़ने लगता या यूँ कहें घटने लगता है। यदि हम सचेत,सावधान और जागरूक नहीं हैं तो नकारात्मक भावनाएँ बड़ी आसानी से हमें घेर सकती हैं। 

आपने भी देखा होगा कि एक अनपढ़ भी साहस से विकट हालात से बड़ी सहजता से उभर जाता है,पर दूसरी तरफ पढा-लिखा भी साहस की कमी के अभाव में अपने आप को भी नुकसान पहुँचा लेता है। कोरोना महामारी से सारा संसार संघर्ष के हुए कठिनाइयों का सामना कर रहा है। कोरोना भी नित नये रूप बदलकर मानव जीवन पर हमला कर रहा है। आज दूसरी लहर भारत में चल रही है। और तीसरी लहर की भी आशंका व्यक्त की जा रही हैं। ब्लेक फंगस भी भयावह है। जिनको हर कोई सहज ही पहचान लेता है। सफेद फंगस ने भी दस्तक दी है। छोटे बच्चों को भी कोरोना चपेट में ले रहा है।

ज्ञात बड़े से बड़ा युद्ध का भी अंत हुआ है। पहले भी महामारियाँ आई तहस-नहस किया ओर चली गई। यह समय भी चला जाएगा। आज यह समय किसी भी तंत्र में कमियाँ निकालने का नहीं हैं।ध्यान रखें कम से कम कोरोना आपके घर तक न पहुँच पाए। सावधानी हटी दुर्घटना घटी।

यह सच है कि विकट हालात में आस्थाएँ और आध्यात्मिकता कमजोर पड़ने लगती है। कमजोर पड़ने से ना समस्याओं का समाधान होता है और ना ही मन शांत होता है। यह भी सच है कि भगवान किसी न किसी रूप में आकर हमारी मदद करते हैं। सभी कोरोना वाँरियर भगवान का रूप है। मुश्किलों में भगवान से राहत मांगो भगवान मदद भेजते है। 

परेशानी आने पर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर निश्चित ही हम एक सही रास्ता पकड़ लेते हैं। विपत्ति हमें सही रास्ते पर भी लाती है। हर जाति धर्म के लोग निकट आ रहे हैं एक दूसरे की दिल से मदद कर रहें हैं। जाति धर्म स्थाई नहीं हैं स्थाई है वही सनातन है, जो मानवता है। सनातन कहता है विश्व का कल्याण हो।

यह भी सच है कि वर्तमान में प्रकृति क्रोधी रूप धारण कर रखा है। जो उम्मीद है जल्द ही शांत होगी। हमें राहत मिलेगी। बाहरी परिस्थितियों पर हमारी खुशियां आधारित होती हैं। जैसे ही परिस्थितियाँ बदली खुशियां गायब,हम फिर दुखी। हमें ऐसे खुशी तलाशनी होगी जो सदैव साथ रहें। वो है मन को शांत रखना। मैं मेरे जीवन में दुखों का नंगा नाच देखा और अब भी देख रहा हूँ। होनी को मानकर स्वीकारकर शांत मन से आगे अब क्या करना है। वो सोचता,करता हूं।

यह भी सच है ज्यादात्तर बाहरी परिस्थितियाँ हमारे नियंत्रण में नहीं होती पर हमारा मन हमारे नियंत्रण में हो सकता है। जो साहसी होते हैं वे अमानवीय यातनाएँ भी सहजता से झेल लेते हैं। जो सोचता है कि इस दुनिया में मेरे लिये कुछ नहीं बचा वो भी सही विचारो के साथ आनंद का अनुभव कर लेता।

दोस्तों सारा खेल भावनाओ का है। जब हम सोच लेते हैं कि संसार में दुख नाम की चीज का राज नहीं चलने देंगे,निश्चय ही आप मदद करने के लिए निकल पड़ोगे। चुनौतियाँ ही हमें अच्छी सीख देती हैं। जिसे कह देते हैं कि यह पढ-लिख नहीं सकता वह बड़ा आविष्कारक बनता है। इतिहास रचता है। गर्म तवी पर बैठकर भी कहता है तेरा भाणा मिठा लाग्ह। कक्षा कक्ष से बाहर बैठने वाला बाबा साहेब को कौन नहीं जानता?

हमारे पास एक मन है या तो दु:ख पर अटक सकता है या खुशियों की तलाश करता है। दुखो पर अटके रहने से अच्छा है,मन को खुशियां ढूँढ़ने दें।


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