एक रचनात्मक व्यक्ति कैसे बन सकता है?
इंसान को रचनात्मक (creative) होना अति आवश्यक है। चाहे वह कौनसा भी जीवन का क्षेत्र हो। आपसी संबंध हो,या व्यवसाय इनमें निरंतर रचनात्मक बने रहने से जुड़ाव पैदा होता है। जुड़ाव सचा होना चाहिए बनावटी तो हमें हमेशा औपचारिकता की ओर ले जाता। जो उपस्थिति से ज्यादा कुछ भी नहीं। जानना जरूरी है कि हम रचनात्मक कैसे बन सकते हैं?
सफल लोगों का मानना है कि रचनात्मकता उनके बाहरी विचारों को हकीकत में परिवर्तन करने की प्रतिक्रिया है! जो दो तरह की होती हैं। 1. सोच 2.उत्पादन
रचनात्मकता के लिए कल्पना करके ही परिणाम मे बदला जा सकता है। कोरी कल्पना करके कुछ नहीं मिलने वाला। जो महज कल्पना किसी काम की नहीं। कोई फल नहीं मिलता।
विचार ही एक शक्ति है। जो बड़े से बड़े निर्माण का आधार बन जाती है। और विचार भौतिक रूप से बनकर हमारे सामने प्रकट हो जाता है और लाभ देता है। आप भी रचनात्मक विचार जो एक मंजिल तक पहुंच सके। रचनात्मक विचारों को आपस में बाढते रहें। आप जितने रचनात्मक ज्यादा होंगे उतने ही अधिक रचनात्मक रहेंगे। आप रचनात्मक हो सकते हैं भले ही आपको ना लगे कि आप रचनात्मक है।
रचनात्मक और दुनिया बदलना एक जैसा है। एक आविष्कार अनेकों को लाभ देता है। एक दुर्घटना में मेरे दांत चले गए,कृत्रिम दांत लग गए।यह कृत्रिम दांत किसी की सोच थीं किसी ने इसे बनाकर दिखाया,किसी ने लगाकर दिखाया। किसी ने दांत लगवाकर दिखाया।
रचनात्मक रहने के लिए स्वयं को विश्वासी होना चाहिए। और पहल करने के लिए फिर दूसरे भी साथ लग जाते हैं। और कारवाँ बन जाता है। लोग जुड़ते गये कारवाँ बनाता गया।
(1) विचार चलते रहते हैं जरूरी नहीं की उनकी पुनरावृति हो। विचारों को लिखना शुरू करें। कम से कम शब्दों में जो फिर से पढने से हमें विस्तार की ओर ले जाए। विचारों को सहजने के लिए आप नोटबुक,कागज-पेन,कैमरा साथ रख सकते हो। कब कोई महत्वपूर्ण विचार मस्तिष्क में आ जाए। लेकिन आप उसे सहज नहीं सके तो गलत आप हुए।
(2) आप अपने विचारों तक सीमित न रहें उससे भी आगे बढे। जो तुरन्त उन विचारों पर अमल हो सके,उतना अवश्य करें। उस विचार के भविष्य के परिणामों पर गौर करना चाहिए। जो आपको भले ही असंभव लगे पर किसी अन्य के लिए असंभव नहीं भी हो सकता है। असंभव विचार आगे चलकर रचनात्मक विचारों को प्रोत्साहित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
(3) चीजों के प्रति नजरिया बदलकर सोचे की इनमें क्या ओर अच्छा हो सकता है।तव एक नया वर्जन सामने नाचने लग जाता है। दूसरा पक्ष देखने से तीसरा पक्ष नजर आ सकता है। नजरिऐ की बात है मोबाइल एक जरुरी जरूरत बन गया है। विचारों को लिखकर,रिकार्ड करके,दृष्य संजोकर स्थायी कर सकते हैं।
(4) किताबों को पढने की आदत डालें। आजकल तो लगभग हर पुस्तक उपलब्ध रहती हैं। असंबंधित विषय से भी हमें नये विचारों का सामना हो जाता है। नई चीजों को अजमाकर सीखकर अपने ज्ञान को विस्तार दें। अपनी रचनात्मकता को बढा सकते हैं।
(5) टहलने की आदत डालें। चलने का मतलब ही है कि अच्छे विचार चल रहे हैं। लोग चलते -चलते पुरे लेख कहानी का खाका खिंच लेते हैं। आज किसको क्या कहना तय हो सकता है।
(6) वेतन वृद्धि या आय बढाने के बारे में सोचे। आय वृद्धि के अनेको तरीके दिखने लगते हैं। आप रचनात्मक होने लगेंगे।
(7) हमेशा बड़ा सोचें और अपने विचारों पर विश्वासी बनें। सोचे की मेरे विचार सीरे से खारिज करने वाले नहीं है। सवाल बड़ा विश्वास भी बड़ा। प्रभाव भी बड़ा। छोटी -छोटी समस्याओं के समाधान खोजकर रचनात्मकता की पहल कर सकते हैं।
रचनात्मकता ही हमे सामान्य बनाए रखती हैं।
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