LIFE जीवन 2
"जीवन एक ऐसी यात्रा है जिसमें आप चालक होते हैं, लेकिन आपको यह ज्ञात नहीं रहता कल क्या होगा"अनुभव, परिवार, दोस्तों, कठिनाइयों के बीच यात्रा करने के लिए कवच हैं। आप निश्चित रूप से बहुत सारी खुशियों, निराशाओं, सफलता, असफलता, उतार चढ़ाव , स्वार्थी लोगों, सच्चे दोस्तों का सामना करेंगे। अपनी सफलता के लिए अपने खुद के प्रयासों की सराहना करेंगे
कभी-कभी आप उस स्थिति में फंस जाएंगे जहां आपको जीवन में दृढ़ निर्णय लेने ही होंगे! एक ऐसी यात्रा पूरी तरह से आपके मीठे और कड़वे अनुभव पर निर्भर करती है। जीवन का उद्देश्य एक जीवन है और कुछ भी नहीं है।
पत्थर की कीमत कम होती है। उससे बनी मूर्ति की कीमत बढ जाती है। पत्थर से मूर्ति बनाना कारीगर का कमाल है उसका कौशल है। वहीं हम हमारे जीवन के कारीगर होते है। हमारी असल ज़िन्दगी में भी यही होता है हमे अपने आप को मूल्यवान बनाना पड़ता है, हम लोग पत्थर की तरह होते है कठिन मेहनत, स्वानुशाशन ,दृढ़ इच्छासक्ति हमे मूर्ति में परिवर्तित करते है क्यूंकि जब आपका मूल्य नहीं रहता है तो बहुत कम ही लोग आपकी ज़िन्दगी में ठहरते है यह एक कड़वा सत्य है परन्तु तथ्य है
हमे जीवन में बहाना नहीं बनाना चाहिए की हमारे पास संसाधनों की कमी है
क्या कभी आपने कभी किसी गरीब बच्चे से पूछने की कोशिश की है की उसकी परिस्थिति का ज़िम्मेदार वो है या उसकी किस्मत क्या वो अच्छी ज़िन्दगी नहीं जीना चाहता लेकिन वो मज़बूर है परिस्थितियों की वजह से, हो सकता है उसके पास आपसे बहुत ज़्यादा क्षमता हो लेकिन आप भाग्यशाली है , स्वयं पे नियंत्रण रखना और संसाधनों को अच्छे से प्रयोग करके आप बहुत कुछ कर सकते हैं, "सफलता कभी भी आराम से नहीं मिलती"
आप अपने आसपास देखने के लिए प्रयास करें जो अपना जीवन सुधारने में लगा हैं चाहे वो चींटिया हो या शहदमख्खी या कोई ओर। सब के सब लगे है।आप उनके प्यार को महसूस करें और उनके साथ समय बिताएं। आप वास्तव में मृत्यु को मना नहीं कर सकते क्योंकि यह निश्चित रूप से एक दिन आएगी यह सुनिश्चित हैं रें कि यह बहुत देर नहीं हुई है।
हम सभी एक दिन मौत से मिलेंगे लेकिन हमने ज़िन्दगी कैसे जिया ये महत्वपूर्ण रहेगा, ज़िन्दगी के रंगों का आनंद कैसे लिया, एक खुशाल और सुन्दर ज़िन्दगी के लिए आपको कड़ी मेहनतव करनी पड़ेगी
प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन के अलग अलग माइने हो सकते हैं क्योंकि जीवन को समझने का और उसे परिभाषित करने का कोई आधारिक सिद्धांत नहीं है।
पृथ्वी पर जीवन समस्त जीवप्राणी व निर्जीवप्राणी के विकास की एक ख़ास प्रक्रिया है जो कार्बनिक और अकार्बनिक तत्वों पर आधारित है। और इस प्रक्रिया में अदृश्य ऊर्जा का समावेश होता है जो कभी खत्म नहीं होती बस इस अदृश्य ऊर्जा का स्थान्तरण होता रहता है। और इसी स्थान्तरण से जीवन निरन्तर गतिमान रहता है।
जीवों में जीवन की इस प्रक्रिया में शामिल मानव अपने आप मे सबसे भिन्न और अद्धभुत है। तथा इस प्रकृति का वास्तव में सबसे अधिक लाभ मानव को ही मिला है। सभी जीवों में अपने अपने स्तर पर जीवन को जीने की अपनी अपनी सोंच और समझ है।
मनुष्य जीवन इन सबसे बिल्कुल भिन्न स्वरूप में है। इस पृथ्वी पर छोटे बड़े इतने असंख्य जीव हैं जिनमे सभी के जीवन का पता लगाना असंभव है। परन्तु मनुष्य जीवन इन सबमे सबसे शीर्ष पर है जिसके बारे में पूरा तो नहीं पर कुछ तथ्यों के बारे में विचार किया जा सकता है।
संतों ने तो यहां तक कह दिया है कि मानव संत जीवों का संसार है। श्रैष्ट है।
वास्तिविक जीवन में तभी बदलाव आ सकता जब आप बदलाव लाना चाहेंगे । क्योंकि जीवन किसी का भी हो, वह जिस स्तर पर भी हो जीवन प्रत्येक समय बदलाव चाहता है ताकि हमें जीवन से प्रेरणा मिलती रहे और जीवन का बेहतर अनुभव मिलता है
हमारा जीवन शानदार हो, उज्जवल हो आदि, तमाम प्रकार की उलझने, चिंताएं, अनगिनत नकारत्मक विचार, और न जाने क्या क्या, और इसी तरह हम अपने वर्तमान को दिशा विहीन रहते हुए किसी तरह जीते चले जाते हैं। शानदार यतन शानदार जीत में परिवर्तन होने में देर नहीं लगती।
सभी के साथ ऐसा नहीं है, कुछ लोग तो अपने जीवन को पूरी शिद्दत से जीते हैं, हाँ वाकई मैंने देखा है कई ऐसे लोगो को अपना जीवन जीते हुए जिनको कोई शिकायत है ही नहीं अपने जीवन से।जीवन की वास्तविक सच्चाई हमारे मानसिक स्तर पर निर्भर है अर्थात हमारी और आपकी सोचने की कला जितनी बेहतर होगी जितनी शानदार होगी, जितनी साफ़ होगी, जितनी स्वतंत्र होगी जीवन उतना ही अच्छा होगा, स्थिति चाहे जैसी हो।
जीवन समय पर निर्भर है जो कई छोटे छोटे पलों से मिलकर बनता है। एक समय पर जीवन शुरु होता है और कुछ समय व्यतीत होने के बाद एक समय पर जीवन ख़त्म हो जाता है तो जीवन के दो समय एक शुरुआत और एक अंत हैं। हमारे या किसी भी जीवप्राणी के पास जीवन के ये दो समय पहलू नियंत्रण में नहीं है और न ही इसको आजतक कोई नियंत्रित कर सका है।
किसी भी प्राणी का वह समय जब वह इस संसार में आता और एक वह समय जब वह इस संसार से जाता है दोनों ही स्वतः होते हैं। इस जगत में आना और इस जगत से जाना हमारे बस में नहीं है। परन्तु इन दो पहलुवों के बीच का जो समय है उसमे हमारा पूरा नियंत्रण है पूरा अधिकार है अपने जीवन को जीने का जो हमें मिला है हम इसमें वो सब कर सकते हैं जो हम करना हैं।
रिस्क लेते रहो और बढ़ते रहो। सफलता ना सही एक अच्छी खासी सीख मिलती है। और यही सच है।
इस जंग में मनुष्य के साथ साथ बाकी जीवों के जीवन भी मौजूद हैं जिनके अर्थ उनके जीवन के अनुसार हैं और वो जीव अपने जीवन को समझ सकते हैं अपनी मन भावना के चलते। इससे हम कह सकते इस पृथ्वी पर जितने जीव हैं सभी के लिए जीवन के अर्थ अलग अलग हो सकते हैं।
सब कुछ हमारी आत्म संतुष्टि पर निर्भर करता है। प्रत्येक व्यक्ति इस सवाल का जवाब जानना चाहेगा, कि मानव सभ्यता के शुरुआती समय से ही जीवन को कई तरीकों से समझने का प्रयास किया जाता रहा है, साथ ही महान लोगों द्वारा बताया और समझाया भी गया, फिर भी इस सृष्टि में जीवन को परिभाषित करना, शायद ही संभव हो पाया हो, क्योंकि सभी जीवों और प्राणियों के लिए उनका जीवन अलग अलग मायने रखता है। प्रत्येक जीव के लिए जीवन का अर्थ, उद्देश्य, मार्ग, और तरीका भिन्न है।
Comments
Post a Comment