What do we mean by traces of life? बुद्धिमान व्यक्तित्व
इक बंनजारा गाये जीवन के गीत सुनाए
जीवन है तो जीवन की एक पहचान भी होनी चाहिए और किसी न किसी रूप में होती भी है। एक की नजर में एक व्यक्ति कोई काम का नहीं वही व्यक्ति किसी दूसरे की नजर में बहुत काम का हो सकता है। व्यक्ति किसके साथ है या या वह किसके साथ है। यह एक पहचान तो हो सकती है। लेकिन पहचान व्यक्तिगत भी होती हैं। आज का विषय यही है व्यक्तिगत पहचान क्या है और कैसे है? व्यक्तिगत पहचान कई तरह की होती है और कई तरह की होती है। जो निम्न है
जन्म -- जन्म के साथ ही पहचान शुरू हो जाती हैं यह तो नवजात है, यह तो बालक है, युवा,गृहस्त, अधेड़, प्रौढ़ है। साधारण जीवन चक्र या पहचान है
व्यक्ति अपनी अच्छी पहचान बनाने के लिए स्वयं जो करता वह करता ही है। पर व्यक्ति की पहचान के दूसरे पक्ष भी होते हैं जैसे परिवार, संस्थाएँ..
व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत पहचान बनानी चाहिए जो एक भीड़ से उसे अलग कर सके। एक पहचान दे सके। अगर व्यक्तिगत पहचान वाला जीवन चाहिए तो कुछ प्रयास अपने स्तर पर भी करने होते हैं।
छोटे छोटे लक्ष्य रखे,उनको पाने के लिए परोपकार, ईमानदारी से अपने काम करो,आध्य्त्मिक का ज्ञान प्राप्त करे
मन एकाग्र करो। ध्यान भटकने ना दो। ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार, बुरी संगत, मांसाहारी आहार, नकारात्मकता से सोच से बचो
बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान जो अपनी एक पहचान बना सकता या बना चुका है।
1.बुद्धि जीवि व्यक्ति अकेला रहना पसंद करता हैं और अकेलेपन का आनंद भी करता हैं। अकेलापन दुख नहीं देता। वह सबसे अधिक क्रियाशील और उत्पादक तभी होते हैं जब उन्हें उनकी रुचि का काम करने दिया जाए।
2. बुद्धिजीवी लोग कठोर या रूखे कदापि नहीं होते। इनका भी दिल होता है लेकिन ये दिल की बजाए मस्तिष्क से काम लेते हैं. वे हर बात के अलग-अलग पहलुओं पर अलग-अलग कोण से सोचकर किसी सार तक पहुंचते हैं।
3. बुद्धि जीवी होने का सबसे बड़ी हानि यह है कि बेवकूफ लोग इन्हें अपने जैसा ही समझते हैं। बुद्धि जीवी व्यक्तियों के साथ रहने का फ़ायदा उठाने के लिए भी थोड़ी समझ की ज़रूरत होती है.
4. बुद्धि जीवी व्यक्तियों को चलताऊ मनोरंजन पसंद नहीं होता। किसी विषय के बारे में पढना और समझन समझाना ही अच्छा लगता है।
5. आमतौर बुद्धि जीवी व्यक्तियों की लिखावट अच्छी नहीं होती. इसका कारण यह है कि वे बहुत तेजी से सोचते हैं लेकिन उतनी तेजी से लिख नहीं पाते, इसलिए उनकी लिखाई बिगड़ जाती है.
6. बुद्धि जीवी लोगों का सामाजिक दायरा बड़ा नहीं होता। मित्र बहुत पुराने और गिने-चुने ही होते हैं. असल में आप जितने तीव्र बुद्धि होते हैं, आप उतने ही अधिक चयनात्मक हो जाते हैं और बहुत सोचसमझ कर ही किसी से घुलते-मिलते हैं.
7.बुद्धिजीवी व्यक्ति किसी तरह की बहस या लड़ाई-झगड़े से दूर रहना पसंद करते हैं. यही कारण है कि अक्सर ही वे बहुत सी बातों को जानबूझकर ध्यान भी नहीं देते हैं।
8. बुद्धि जीवी सदैव ही स्वयं से ही बातें करते रहते हैं। मन-ही-मन बहुत सारी बातों पर खुद से ही वार्तालाप करते रहते हैं।यह इनके लिए बहुत संतोषजनक बात होती है.
9. बुद्धि जीवी लोग हर बात में, हर घटना में, हर चीज़ में रचनात्मकता और अवसर खोजते हैं जबकि दूसरे लोग औरों की गलतियां और कमियां खोजते रहते हैं.
10. बुद्धिजीवी व्यक्ति अपनी महारत को आम तौर पर कम करके आंकते हैं। वे बड़बोले नहीं होते. वे डींगें नहीं मारते।वे बिना पूछे किसी को कुछ नहीं बताते।
अगर बनाना है तो बुद्धि जीवी बनो। बाक़ी तो आया राम गया राम ही होता है।
बुद्धि जीवी भीड़ में से भी अपनों को ढूँढ़ लेते हैं।
एक छोटी सी समझ वाली कहानी है। आप समझ जाओंगे की कौन बुद्धिमान व्यक्ति है और कौन नहीं है
एक बार तीन बुद्धिमानों ने अपनी-अपनी बुद्धिमानी का उदाहरण देने के लिए जंगल के रास्ते से होकर जंगल के उस पार के वासियों को अपनी बुद्धिमानी का उदाहरण देने निकले। उनका एक मित्र चौथा भी साथ हो लिया जो उनकी तरह का उतना बुद्धिमान व्यक्ति नहीं था चौथे ने भी उनके साथ जाने की बात कही वो तीनों मान गए और चौथे मित्र को भी साथ हो लिया।
जंगल में से जा रहे थे तो देखा की एक शेर का अस्थिपंजर पड़े है एक ने कहा कि में इसके अस्थिपंजर जोड़ सकता हूँ और उसने जोड़ दीये। दूसरे ने कहा मैं इसमें मांस मज्जा भर सकता हूँ और उसने भर दिया। तीसरे ने कहा कि मैं इसमें प्राण भर सकता हूँ। तब चौथा मित्र बोला यह शेर और हमें खा जाएगा लेकिन वो नहीं माने तो चौथा मित्र पेड़ पर चढ गया। जैसे ही प्राण भरे शेर उनको खा गया चौथा मित्र बच गया। समय के अनुसार भी बुद्धिमानी झलक जाती हैं।
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