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नजरिये का खेल

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जब हम किसी घटना,हालात या किसी के प्रति हम जो भाव रखते हैं, सोच बना लेते हैं। प्रमाण पर आधारित हो सकती है या दिल के किसी हिस्से में यह विश्वास घर कर जाता है कि यह गलत है या सही है। फिर हमारा एक नजरिया बन जाता है। उस नजरिये को हम बनाकर रख सकते हैं या बदल भी सकता है। नजरिया बदलने से खेल बदलता है। हमारे मन में या अन्य जगह माहौल तनावपूर्ण हो जाता है तो तब भी हम नजरिया बदलकर खुशी तलाश सकते हैं। नजरिया बदलने से तनाव, आपसाद भी खुशियों में परिवर्तन हो सकता है। सारा खेल भावनाओ के भड़कने पर टिका रहता है। आपकी भावनाएँ भड़क सकती हैं तो सामने वाले की भी भावनाएँ भड़क सकती हैं। भावनाओ के भड़कने से ही सारा खेल शुरु होता है। और फिर सारे गलत खेल शुरु होते हैं। कई बार भावनाओ को दबाने पर वो ओर ज्यादा भड़क जाती हैं।  हम दूसरों से कम ही बातें करते हैं चाहे वो कितना भी करीबी हो पर सच यह है हम अपने आप से हर पल बातें करते रहते हैं। हम हर रोज हर विषयों का अपने स्तर पर आकलन करते रहते हैं। इसी आकलन पर निर्भर होता है विपरीत परिस्थितियों में किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं। जब मन विचलित हो तो मन को राहत देने के लिए उस तन

ब्लॉग पर अद्वितीय सामग्री का महत्व क्या है? blog par adivitya samagri ka mahtav kya h?

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ब्लाँग पर अद्वितीय सामग्री का महत्व -- ब्लाँग का अर्थ और उदैष्य निश्चय ही आप जान लिया होगा। आज हम बात करेंगे अद्वितीय सामग्री के बारे में एक अच्छे ब्लाँगर के लिए उनका लेख जानकारियाँ से भरा हो। जो समय की मांग या खोजे जाने वाले विषयों के तहत होना चाहिए। एक अच्छा ब्लाँगर बनने के लिए जो लिखना चाहते हो उसकी ज्यादा से ज्यादा जानकारी होनी चाहिए। शब्दों का चयन आमजन की समझ में आने वाले हो। वर्तनी पर भी ध्यान रखना चाहिए।  साहित्य चोरी नहीं करनी चाहिए। हर हाल में आपका स्वयं होना चाहिए। काँपी पेस्ट के सिद्धांत से बचना चाहिए। स्वंय की सामग्री गूगल पर रैंक करती हैं। रातों रात कोई चमत्कार नहीं हो सकता की आपका ब्लाँग रैंक करने लगे। नियमित रूप से धैर्य रखो और अद्वितीय सामग्री ब्लाँग पर प्रकाशित करते रहें। धीरे-धीरे ही सही आपका ब्लाँग और आपकी सामग्री रैंक करने लेगेगी। ब्लाँगिंग में सफल होने के लिए आपको नियमित रूप से अपने ब्लॉग पर सामग्री प्रकाशित करते रहना होगा। अगर आपका ब्लाँग दैनिक गतिविधियों से संबंधित है। पुरे दिन की घटनाओं को जो प्रकाशित योग्य है। वो लिखना होगा, घटना की आवाज है या चलचित्र है। उन्हे

ब्लाँगिंग क्या है इससे कैसे कमाई होती हैं।

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ब्लॉग का मतलब क्या है और ब्लॉग्गिंग कैसे कर सकते हैं ? नमस्कार मित्रों,आपको इस बात का पता भी होना ही चाहिए कि ब्लॉग क्या है, हम ब्लॉक से पैसे कैसे कमा सकते हैं, ब्लॉक बनाते समय हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना है,उन सभी बातों का वर्णन आज के लेख में किया गया है अगर आप भी ब्लॉग बनाते हैं,तो निश्चय ही आप पैसे अर्जित करने के बारे में सोच रहे हैं तो आज जानेंगे कि ब्लॉग कैसे बनाया जाता है, तो चलिए जानते हैं। सबसे पहले यह बात समझ लेते हैं कि असल में ब्लॉग  होता क्या है यदि हम इसे ठीक से समझें तो ब्लॉक एक ऐसी वेबसाइट है जो समय-समय पर अपडेट होती रहती है। आप समझो ब्लॉग को वेबलॉग भी कहा जाता है।  ब्लॉग पर, ब्लाँगर लोगों के लिए सामग्री जैसे नयी पुरानी सूचनाएँ प्रकाशित करते हैं, जो कुछ भी आप गूगल में खोज करते हैं।वह हमारे सामने आता है;  ब्लॉग कहाँ चला जाता है?ज्यादात्तर लोग अपनी जानकारी लोगों में सांझा  करना पसंद करते हैं, और यदि हम गूगल  में कुछ भी तलाशते हैं, तो हमें उसके बारे में पूरी जानकारी मिलती है। इसे ही हम ब्लॉग कह सकते  हैं। यदि ब्लॉगर अपने ब्लॉग पर अपनी  ऐसी जानकारी लिखता है जिसे पढ़कर प

खुशी का राज Khushi ka Raj

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हम इंसान है, इससे क्या बड़ी बात हो सकती हैं? मालिक द्वारा बनाई गई सब रचनाओं मे से श्रेष्ठ रचना है इंसान। इससे बड़ी खुशी क्या चाहिए। मानव जाति ही खुशियों के राज जानना चाहता है। मनुष्य ने ही प्राकृतिक संसाधनों के तंत्र को बिगाड़ रखा है। सब अन्य जीव अपने-अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं। और वो प्राकृतिक संसाधनों के साथ खिलवाड़ भी नहीं करते। सब जीवो में से मनुष्य ही दुखी है। इसलिए खुश रहने के तरीके मानव ही तलाशता है। आज मनुष्य की वजह से प्राकृतिक संसाधन और अन्य जीव दुखी है। मनुष्य के गलत कार्यो से दुखी होकर वो अपना रौद्र रूप दिखाते हैं। तब मनुष्य के पास अपने आप को सुनिश्चित करने के अलावा कोई अन्य दूसरा रास्ता नहीं हैं। और सबकुछ सहने के अलावा भी।  हम कोरोना महामारी को झेल रहें हैं। नदियाँ के उफान सहा,ताउ ते समुंदरी तूफान का तांडव झेल भी रहें हैं। शायद स्वयं भगवान भी मनुष्य से दुखी होंगे। मनुष्य ही श्रेष्ठ रचनाओं मे से अंतिम रचना है। भगवान ने भी मनुष्य की रचना निर्माण के बाद रचनाओं को बनाना बंद कर दिया।  हकीकत में खुशियों का कोई राज नहीं हैं। सच में यह हमारे द्वारा किये गए निर्माण,नियंत्रक पर आध

मित्रता कैसी होनी चाहिए? Miitarta kaiserslautern honing chahiye

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अमुमन मित्रता के दो ही रूप होते हैं एक स्थाई जो चिर काल तक चलती है दूसरी अस्थाई जो समय स्थान तक सीमित रहती हैं। स्थाई मित्रता - स्थाई मित्रता पर स्थान,जगह का प्रभाव नहीं पड़ता। स्थाई मित्रता वाले लोग किसी न किसी माध्य से जुड़े रहते हैं। भले ही दोनों के बीच हजारों किलोमीटर की दूरी हो। जब भी समय मिलता है। एक दूसरे से मिलते। एक दूसरे के सुख दुख में अपनापन दिखाते हैं। बराबर की सहनता होती हैं। कृष्ण सुदामा की मित्रता जग जाहिर है। जिनकी मिसाल आज भी चलन में है। सच्ची मित्रता जीवन प्रयंत तक चलती है।  अस्थाई मित्रता -- यह समय या स्थान तक सीमित रहती हैं। जैसे जो अकसर किसी यात्रा के दौरान बन जाती हैं। जिसका भी पहले पड़ाव आया वो उतरा मित्रता भी खतम।  आधे भरे गिलास को अगर आपके दोस्त आधा खाली देखते हैं। तो वो नकारात्मक सोच के होंगे। यदि वो आधा भरा मानते हैं तो वो निश्चय ही सकारात्मक होंगे। कौन दोस्त अच्छा होगा कौन अच्छा नहीं होगा यह कह पाना बहुत कठिन है। जो समस्याएँ पैदा करे, बनते या चलते कार्यों में व्यवधान पैदा करै ,जो जानबूझकर गलत रास्ते पर ले जाए। ऐसे दोस्त निश्चय ही गलत होंगे। इन से दूरियां ही भली

खुशी के सूत्र Khushi ke sutra

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कोरोना काल हमारा जीवन आज इस महामारी प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रूप से सब के जीवन को प्रभावित कर रखा है। उपर से यह ताऊ ते समुंदरी तूफान बड़े स्तर पर आया है। आज मानव जीवन अनेकों परीक्षाओं से ना चाहते हुए से गुजरना पड़ रहा है। सिवाय परीक्षा देने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। ऐसे समय में कुछ रचनात्मक बातों पर चलकर इस काल से पाया जा सकता है। वर्तमान समय और गुजरे समय में से अच्छी आदतें अपनाकर इससे पार पाया जा सकता है।जीवन अनंत ऊर्जा का भंडार है। आज इसी अनंत ऊर्जा को अपनाने की जरूरत है। बचाव के लिए सबसे जरूरी और प्रथम होता है सुरक्षा कवच। अगर आपके पास सुरक्षा कवच ठीक ढंग का है तो जीवन के रास्ते सहज ही आसान हो जाता है।  आनंद - हमेशा नकारात्मकता मेें भी सकारात्मकता खोजते रहना चाहिए। छोटी -छोटी बातों में भी आनंद तलाशते रहें। जीवन में दुखों के पहाड़ कभी -कभार ही टूटते। साहसी लोग तो उनसे भी पार पा लेते। प्राकृतिक सत्ता से मुलाकात करते रहें। जितने हम प्राकृतिक सत्ता से दूर जाएंगे। उतना ही हमें पीड़ा होगी। अगर मानव समाज प्रकृति के साथ छेड़छाड़ न करें तो कुदरत भी अपना रौद्र रूप कम दिखाती है।  हर समस्या क

परिवार और सहनशीलता PARIWAR AUR SAHANSHEELATA Family and tolerance

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आज परिवार दिवस है जन्म के साथ ही जीव का जीवन परिवार नामक इकाई से जुड़ जाता है। भले ही वह परिवार के बारे में कुछ नहीं जानता। समय के साथ ही वह अनेकों में अपनो पहचान लेता है। यहीं से परिवार की पहचान बनने लगती है। वैैसे परिवार का संबंध रक्त पर जुड़ा रहता है। पर इंसानियत की नजर में सारा संसार ही परिवार माना जाता है जहाँ किसी प्रकार की हदें नहीं होती लेकिन आज हम बात कर रहें हैं सबसे छोटी इकाई परिवार की जिसमे पति पत्नी और उनके बच्चे। खुशहाल परिवार के लिए जरूरी आवश्यक बातें। 1.कम से कम रात का भोजन एकसाथ बैठकर करें। संगत बिगड़ने के आसार कम होते हैं। अगर संगत सही मिले तो संकट ना के बराबर होती हैं।  2. बच्चों को पारिवारिक इतिहास बताएं। जो अपने पारिवारिक हालात जानते हैं वह बच्चे अपने जीवन को भलीभाँति सही दिशा दे पाते हैं। सच को स्वीकार ने में किसी तरह की उलझन में नहीं रहते हैं। 3. अगर आप को ईश्वरीय सत्ता से कोई कुछ मांगना चाहते हैं तो परिवार खुश रहे ऐसा मांग लिजिए। आपस में एक-दूसरे पर पुर्ण विश्वास बनना चाहिए। 4.घर के आवश्यक कार्यों की सूचि जरूर बनाए और परिवार को दिखाएं ऐसी जगह रखे जहाँ सबका जाना आसन